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Showing posts from December, 2020

फूल..

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*आओं मिलकर फूलों के संग रूबरू हो जाये *। *महकते सतरंगी फूलों को देख ख़्वाब सजाये *। #shoot by me # ©®Rajni Kumari 

सिकंदर है मुहब्बत का..... 💞

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खुद की खोज में निकल.....

खुद की खोज में निकल..!!!!!! खुद की खोज में निकल, तू क्यूँ हताश है। तू चल तेरे वज़ूद की, समय को भी तलाश है। जो तुझसे लिपटी बेड़ियाँ, समझ ना इसको वस्त्र तू। ये बेड़ियाँ निकाल के,बना ले इसको सस्त्र तू। चरित्र जब पवित्र है, तो क्यूँ है ये दशा तेरी। तू खुद की खोज में निकल, क्यूँ तू हताश है । तू चल तेरे वज़ूद की, समय को भी तलाश है । जला के भस्म कर उसे, जो क्रूरता का जाल है। तू आरती की लॉ नहीं, तू क्रोध की मशाल है। चूनर उड़ा कर ध्वज बना,  गगन  भी कांप जाएगा। अगर तेरी चुनरी गिरी, तो भूकंप  आ जाएगा। तू खुद की खोज में निकल, क्यूँ तू हताश है तू चल तेरे वज़ूद की, समय को भी तलाश है । ©®Rajni Kumari 

आज है और कल भी रहेगा...

आज है और कल भी रहेगा, कुछ यादों का कारवाँ हर पल रहेगा। कड़वी यादों का इक इक क्षण, और मीठी यादों का धुंधलापन कल भी रहेगा । थोड़ी याद बदलते बहारों की, और हर याद तकरारों की कल भी रहेगा । कास की ऐसा हो जाये, कुछ ऐसा जादू चल जाये....  भूल बैठो बुरी यादों का ठिकाना हमारा, और सुहानी यादों की रंगीन शाम रग रग में घुल जाये । ©®Rajni Kumari 

पहली दफा... कुछ लिखा था, जब तू मिला था... 💞 ,

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कविता :- पहली-दफ़ा ...   पहली दफ़ा कुछ लिखा था,   जब तू मिला था ...   ना जाने क्यूँ ज़ुबान तब खामोश थी,   शायद दिल को तुझसे दुर जाने का गिला था।   ना जाने क्यूं इश्क़ में डूब सी गई थी,    शायद ख़ुदा को मेरा ही इतज़ार था.   पहली-दफ़ा ...   उस दिन मेरे दिल को बेचैनी सी हो रही थी,   जबकि मेरे साथ तो पूरा काफिला था,    ना जाने क्यूँ डर सा लगता था फिर भी पास तेरे थी,   शायद वो और कुछ नही फ़क़त तेरी यादों का सिलसिला था।   पहली-दफ़ा ...   उस दिन तेरे दूर  जाने से उदास न थी,   क्यूँकि उस दिन जैसै मुझे मेरा कोई अपना आ मिला था।   ना जाने क्यों  मसरूफ सी होने लगी थी,   क्यूँकि अब तूने जीने का शालिखा सिखा दिया था।   पहली-दफ़ा....    ना जाने क्यों पेडों के साथ   रूहानी और रूझानी फूलों की बारिश सी होने लगी थी।    शायद ख़ुदा को  बैठने का अंदाज खूबसूरत और बेहद रुचिकर लगा था।   पहली-दफ़ा ...   उस दिन से तेरी निगाहों की आदत सी होने लगीं थी,    शायद ये तेरे इश्क का सिला था।    शायद ये तेरे इश्क का सिला था। ©® रजनी कुमारी

The best part of my day was

When you have learned to subdue your anger.. 💞  And, When you freely issued me the decree to live..💞  ©®Rajni Kumari 

लाल गुलाब 🌹

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©®Rajni Kumari 

चलो ऐसा कर ले..

चलो ऐसा कर ले.. तुम मेरी नादानी समझ लो,  हम तुम्हारी समझदारी समझ ले । तुम मेरी ख्वाहिश समझ लो,  हम तुम्हारी खुशी समझ ले । फकत जिंदगी में क्या रखा है... चलो ऐसा कर ले,  तुम मेरी तुच्छ सी मोहब्बत ही समझ लो,  हम तुम्हारी बेपनाह मोहब्बत समझ ले। ©®Rajni Kumari 

तूफ़ान...

तिनकों के नशेमन तक इस मोड़ से जाते हैं। आंधी की तरह उड़ कर इक राह गुजरती है शरमाती हुई कोई कदमों से उतरती है। इन रेशमी राहों में इक राह तो वह होगी तुम तक जो पहुंचती है इस मोड़ से जाती है। इक दूर से आती है पास आ के पलटती है इक राह अकेली सी रुकती है न चलती है। ये सोच के बैठी हूं इक राह तो वो होगी तुम तक जो पहुंचती है इस मोड़ से जाती है। इस मोड़ से जाते हैं कुछ सुस्त कदम रस्ते कुछ तेज कदम राहें। पत्थर की हवेली को शीशे के घरौंदों में तिनकों के नशेमन तक इस मोड़ से जाते हैं। ### tuffan.### *Rajni Kumari * CREATIVE #R# 

कुछ परिवर्तन..

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☺  

*एहसास मन और दिल का *

 एहसास मन और दिल का👇👇 हाँ मैंने खुद को संभलते देखा है... कोई कहता है 'मुश्किलों' से हार कर रास्ते बदलते देखा है, फिर भी मैंने खुद को 'गिरकर' संभलते देखा है। हाँ मैंने खुद को संभलते देखा है.... कोई कहता है कोई 'साथ' नहीं अब, फिर भी मैंने 'परछाइयों' को खुद के साथ चलते देखा है। हाँ मैंने खुद को संभलते देखा है.... कोई कहता है 'जिंदा दिली' नहीं ज़माने में, फिर भी मैंने खुद को 'बर्फ' सा पिघलते देखा है। हाँ मैंने खुद को संभलते देखा है..... कोई कहता है सब कुछ मिलता नहीं 'जिंदगी' में, फिर भी मैंने खुद को 'अरमाँ' के साथ चलते देखा है। हाँ मैंने खुद को संभलते देखा है.... कोई कहता है 'रात' ढ़लने से पीछे नहीं हटते, फिर भी मैंने मंजिल की तलाश में 'अँधेरों' से लड़ते देखा है। हाँ मैंने खुद को संभलते देखा है..... कोई कहता है बहुत मुश्किल है ये 'सफर' जिंदगी का, फिर भी मैंने हालातों के साथ 'दर्द' सहते देखा है। हाँ मैंने खुद को संभलते देखा है.... कोई कहता है जिंदगी में 'उतार - चढ़ाव' कितने है, फिर भी म